इतिहास

  • 1998:- टिहरी हाइड्रो कारपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) को टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स (2400 मेगावाट) के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम के रूप में निगमित किया गया।
  • 1989:- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना कार्य टीएचडीसी लिमिटेड को हस्तांतरित किए।
  • 1990:- भागीरथी नदी को दायें किनारे की डाइवर्जन सुरंगो के माध्यम से पथांतरित किया गया। अपस्ट्रीम कॉफर डैम टिहरी एचपीपी 1000 मेगावाट की फाउंडेशन सीट को ईएल 615.0 (नदी तल स्तर से 15 मीटर ऊपर) तक उठाया गया।
  • 1991:- टिहरी एचपीपी मुख्य डैम की फाउंडेशन सीट को ईएल +615.0 (नदी तल स्तर से 15 मीटर ऊपर तक उठाया गया।
  • 1994:- भारत सरकार ने टिहरी एचपीपी के लिएनिवेश अनुमोदन दिया। 3 पैकेजों के लिएविद्युत गृह के सिविल कार्य एवार्ड किए गए।
  • 1995:- टिहरी एचपीपी के कॉफर डैम का निर्माण शुरू हुआ और 650 मीटर तक उठाया गया ।
  • 1996:- टिहरी एचपीपी पावर हाउस का सिविल निर्माण कार्य शुरू हुआ। टिहरी एचपीपी स्पिलवे स्ट्रिपिंग का कार्य एवार्ड किया गया और शुरू हुआ।
  • 1997:-टिहरी एचपीपी के मुख्य डैम के लिए संविदा एवार्ड की गई और कार्य शुरू हुआ। टिहरी एचपीपी पावर हाउस, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल उपकरण और नियंत्रण प्रणालियों के लिए संविदा एवार्ड की गई।
  • 1999:-उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव द्वारा आयुक्त (गढ़वाल) को पुराने टिहरी नगर से सरकारी कार्यालयों और संस्थानों को शहरी पुनर्वास के लिए नवनिर्मित नए टिहरी नगर में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए।
  • 2000:- भारत सरकार ने 400 मेगावाट कोटेशवर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिएनिवेश अनुमोदन दिया।
  • 2001:- टिहरी एचपीपी की डायवर्जन टनल टी-3 और टी-4 को बंद करने का कार्य शुरू किया गया और पूरा किया गया
  • 2002:- कोटेशवर एचईपी के लिए सिविल संविदा एवार्ड की गई। .
  • 2004:- टिहरी एचपीपी की डायवर्जन टनल टी-1 को प्लग किया गया.
  • 2005:- टिहरी डैम को पूरी ऊंचाई तक उठाया गया। डायवर्जन टनल टी-2 के गेटों को बंद किया गया। जलाशय भरना शुरू हुआ।
  • 2006:- टिहरी चरण- I की यूनिट-III और यूनिट-IV का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ।
  • 2007:- टिहरी चरण- I की यूनिट-प् और यूनिट- II का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ।
  • 2008:- भारत सरकार द्वारा 444 मेगावाट वीपीएचईपी का निवेश अनुमोदन किया गया।
  • 2009:- अक्टूबर,2009 में टींएचडीसीआईएल को ‘मिनी रत्न-श्रेणी- I’ का दर्जा दिया गया। कारपोरेशनका नाम बदलकर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड हो गया।
  • 2010:- टींएचडीसी इंडिया लिमिटेड को अनुसूची-ए का दर्जा दिया गया।
  • 2011:- कोटे’वर एचईपी की दो यूनिटें चालू की गई। भागीरथीपुरम, टिहरी गढ़वाल में टींएचडीसी इंस्टीटयूट ऑफ हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई।
  • 2012:- कोटे’वर विद्युत संयंत्र (400 मेगावाट) पूर्ण रूप से कार्यशील हो गया।
  • 2013:- दिस्मबर,2013 में वन-भूमि को वीपीएचईपी के लिए डायवर्ट किया गया। टिहरी एचपीपी ने केदारनाथ में आई बाढ़ से हुई तबाही को कम किया और ऋषिकेश एवं हरिद्वार पावन नगरों को बचाया।
  • 2014:- वीपीएचईपी (444 मेगावाट) के सिविल एवं एचएम एवं ईएम कार्य एवार्ड किए गए।
  • 2016:- ढुकवां एसएचईपी (24 मेगावाट) के सिविल कार्य एवार्ड किए गए। पाटन, गुजरात में 50 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र चालू किया गया।/li>
  • 2017:- देवभूमि द्वारका, गुजरात में 63 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र चालू किया गया
  • 2019:- भारत सरकार ने बुलंदशहर जिले में खुर्जा एसटीपीपी (2 x 660 मेगावाट) और उससे संबद्ध अमेलिया कोयला खान को निवेश अनुमोदन प्रदान किया। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 9 मार्च,2019 को खुर्जा एसटीपीपी की आधारशिला रखी। खुर्जा एसटीपीपी का मुख्य संयंत्र पैकेज एवार्ड किया गया और कार्य शुरू किया गया।
  • 2020:- 24 मेगावाट ढुकवां एसएचपी चालू हो गया और वाणिज्यिक प्रचालन शुरू हो गया। भारत सरकार द्वारा एनटीपीसी लि. को टींएचडीसीआईएल में अपनी 75% इक्विटी की रणनीतिक बिक्री की। उत्तर प्रदेश राज्य मे 2000 मेगावाट अल्ट्रा मेगा सोलर पावर पार्को के विकास के लिए टस्को और यूपीएईडीए के बीच टीयूएससीओ लिमिटेड नामक संयुक्त उपक्रम का गठन किया गया।
  • 2021:- खुर्जा एसटीपीपी के बॉयलर- I और बाॅयलर- I I का उत्पादन शुरू किया गया। केरल के कासरगोड़ जिले में 50 मेगावाट की सौर परियोजना चालू की गई और 19.02.2021 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई। टींएचडीसीआईएल ने 30 जुलाई,2019 को अपने सभी प्रचालनरत विद्युत संयंत्रों से 50 बीयू विद्युत उत्पादन की उपलब्धि प्राप्त की। 31 मार्च,2021 तक अपने सभी प्रचालनरत विद्युत संयंत्रों से टींएचडीसीआईएल द्वारा किया गया कुल विद्युत उत्पादन 57704.4 एमयू है।